Thursday, December 29, 2016

छोड़ के जाने वाला

ना अब ख़ुशी है ना कोई गम रुलाने वाला,
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला ।
उस को रुकसत तो किया था मालुम ना था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला ।।

मुसाफिर के सफ़र जैसी है सब की दुनिया,
कोई जल्दी सबतो कोई देर से जाने वाला ।
एक झूटी सी उम्मीद है चेहरा वो फिर दिखे,
चेहरा हर पल रहेगा सामने ना भुलाने वाला ।।

मेरे रंजो गम का साथी था ना पूछो इस कदर,
मैं रूठ जाता और वो था मुझे मनाने वाला ।
दिल के जख्मों का मरहम बन जाता था,
अब जख्म है बहुत पर ना कोई मिटाने वाला ।।

अब भी याद है कशिश उसकी आँखों की,
वो नहीं तो ना कोई और आनेवाला ।
भूल जाऊं भी खुद को तो बड़ी बात नहीं,
तेरे जाने का गम है ना भुलाने वाला ।।

सत्येन दाधीच
7425003500
s.j.dadhich@gmail.com