इंसान इस धरती पर आता है और दूसरा इंसान उस इंसान में भाग लगाता है अब देखिए कि कैसा लगता है भाग ।
इंसान पैदा होता है तो फिर उस में 4 का भाग लग जाता है हिंदू मुस्लिम सिख इसाई लेकिन जो समाज है वह उसमें कितने का भाग लगाता है यह समझ में नहीं आता है क्योंकि फिर अगर हिंदू है तो हिंदू में भी कितनी सारी उपजाति हैं अगर मुसलमान मुसलमान में भी हैं, सिख है तो सिख में भी है इसाई है तो इसाई में भी है हर कोई उलझा पड़ा है अपनी उप जातियों के फेर में और जो देश को तोड़ने वाली ताकतें हैं वह इन्हीं छोटी-छोटी चीजों को आपके सामने कई गुना करके बड़ा करती है ।
जैसे कि हिंदू में आपने बोला कि यह दलित है और यह सवर्ण तो उसने सारे दलितों को एक जगह इकट्ठा कर दिया और आप दलित हो साहब अब वह हिंदू है या नहीं वह तो पता नहीं लेकिन उसको पढ़ाया सिखाया जाता है कि आप के ऊपर अत्याचार हो रहा है कितने सालों से । अब बेचारा करे तो क्या करें क्योंकि वह कहावत है ना सौ बार जब एक झूठ को बोला जाता है तो वह सच हो जाता है सवर्णों ने अत्याचार किया या नहीं किया अगर किया भी होगा तो वह कहां लिखा है अगर सवर्ण अत्याचार करते तो दुर्योधन का सबसे परम मित्र कर्ण नहीं होता अगर आप और किसी भी धर्म की बात करोगे तो किसी धर्म में उत्सव और किसी भी त्योहार को मनाने का सिर्फ और सिर्फ एक जरिया है जिसे कहते हैं प्रकाश भले ही चाहे वह हिंदू की दीवाली हो या फिर सिखों का प्रकाश पर्व यह ईसाईयों का क्रिसमस तो फिर अंधेरे का साम्राज्य कहां से आया क्यों आपको बार-बार लगाया जाता है क्यों बात होती है 36 कोम की उतनी जातियों की जितनी जातियों के नाम तक पता नहीं है लेकिन आप एक दूसरे से लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं ।
पता नहीं क्या सोच हो गई है सबकी सीढी दर सीढी हमें ऊपर उठना होगा हमें दलित या स्वर्ण के झगड़े से हटकर हिंदू बनना होगा और उसके बाद हिंदू मुसलमान सिख इसाई के विभाजन से ऊपर उठकर हमें हिंदुस्तानी बनकर रहना होगा तभी तो हमारा देश आगे बढ़ेगा क्योंकि वह लकड़ियों के गट्ठर वाली कहानियां पढ़ी होगी कि एक एक लकड़ी को तोड़ा जा सकता है लकड़ियों का गट्ठर एक साथ रहे तो उसे कोई नहीं तोड़ सकता संगठित रहिए ।
जो आपके बीच में विभाजन करता है उससे बचकर रहिए क्योंकि हमेशा दो बिल्लियों की लड़ाई में फायदा बंदर को एक बनोगे तो नेक बनोगे और नेक बनोगे तो देश की भाग्य रेखा बनोगे।
सत्येन दाधीच