Sunday, June 21, 2020

संस्कृति का बीजारोपण

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अक्सर लोग हिन्दू धर्म के संस्कारों को हेय दृष्टि से देखा करते है, कथित धर्मनिरपेक्षता में वे इतने अंधे हो गए कि उन्होंने भारतीय संस्कारों के घर मे प्रवेश करने पर ही प्रतिबंध लगा दिया है।

सनातन धर्म को मानने वाले हिन्दू अपने वैदिक संस्कारों तक को ठुकरा देने का निर्णय ही आज की दुर्दशा का जिम्मेवार है ।

कहते है बच्चों का दिमाग कोरी स्लेट होता है जिस पर हम जो चाहें लिख सकते हैं। यह प्रक्रिया जन्म से लेकर जवानी तक चलती है। अगर बच्चों को संस्कारी बनाना हो तो बड़ों को अपने दायित्व से नहीं चूकना चाहिए। बच्चों को संस्कार उपदेश देकर नहीं सिखाए जा सकते। बच्चे वही सीखते हैं, जो वे माता-पिता को करते देखते हैं। जैसे वरिष्ठजनों के गुण होंगे, बच्चे वैसा ही सीखेंगे। जो वे करते होंगे वैसा बच्चे करेंगे।

आप अपने बच्चों को अरबों की सम्पत्ति तो विरासत तो में दे जाएंगे लेकिन संस्कार नही दे पाए तो भयावहता की कल्पना कर सकते हैं। जीवन भर भारतीय मूल्यों का अघोषित बहिष्कार किया हो, सनातनी  संस्कृति का अपमान कर जो बीज बोया जाता है उस के फल भविष्य में पूरे समाज, देश और संस्कृति को काटने पड़तेहै।

ईश्वर सबको सद्बुद्धि देवें कि वो संस्कारों का बीजारोपण अपनी भावी और वर्तमान युवा पीढ़ी में करेंगे तभी होगा सनातन धर्म और संस्कृति का अभ्युदय।

जो धर्म को दृढ़ रखे,
तेहि राखे करतार।।

सत्येन🖊🚩