Friday, September 24, 2021

नागरिक संशोधन

केंद्र सरकार द्वारा लाया गया "नागरिक संशोधन विधेयक" लोकसभा से पारित हो, राज्यसभा में बहुमत से पास हो, महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने स्वीकृति स्वरूप हस्ताक्षर करते हुए कानून व्यवस्था में एक नया सोपान जोड़ दिया जिसके फलस्वरूप अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिक और पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक नागरिकों के लिए एक सकारात्मक पहल की है।

तमाम लोगों, संगठनों ने इस कानून का स्वागत किया है और इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद ज्ञापन भी किया है।

सब कुछ सही  फिर भी देश के कुछ हिस्सों में दंगे, प्रदर्शन और अराजकता का माहौल बना दिया गया है जो कि मीडिया भर भर कर दिखा रहा है, अखबारों में सुर्खियां बना रहे हैं लेकिन असल में इस बात को लेकर बेवजह ही परेशानी का माहौल दिखाने की कोशिश कौन कर रहा है सब भली भांति जानते हैं।

इस बात को कुछ यूं समझे कि 1947 में जब हमारे अखण्ड हिंदुस्तान में जो सिर्फ और सिर्फ धार्मिक आधार पर विभाजन हुआ था जिसका मकसद दो अलग अलग धर्मों के अनुयायियों को दो अलग देश बनाने की एक कुटिल मंशा तत्कालीन सत्तासुख भोगने की चाह रखने वालों के लिए हिंदू-मुस्लिम आधार पर हिंदुस्तान-पाकिस्तान बना दिया गया ताकि एक भारतवर्ष के कई टुकड़े टुकड़े कर सभी को प्रधानमंत्री बनाया जा सके।

तब राष्ट्रपिता गाँधी ने नेहरू-जिन्ना दोनों की प्रधानमंत्री बनने की बालहठ के लिए अखण्ड भारतवर्ष के दो टुकड़े करके दोनों को खुश करने का अभूतपूर्व कार्य किया  

आजादी के समय हिन्दू समुदाय पाकिस्तान में खूब था और इतना था कि मुस्लिम समुदाय ने भरी हुई ट्रेन उनकी लाशों से भरके हिंदुस्तान में भेजी थी लेकिन तब भी पता नहीं क्यों कोई व्यापक कदम उठाने की जहमत तत्कालीन सरकार ने नही उठाई।