Saturday, August 22, 2015

रोज़ की डायरी... पन्ना 22 अगस्त 2015 का

एक बार फिर रात हुई है.... चाँद आधा अधूरा सा कुछेक सितारे और बहती ठंडी हवा । शहर की भागमभाग से दूर । अंधेरो से बात करती सड़क..... उसके किनारे पेड़.... पहाड़ों के नीचे बने एक दुकानों के झुण्ड से दूर एक टपरी जिसके नीचे सुकून है पर डीजे की आवाज़ यदा कदा तोडती उस शांति को... जिसके लिए यह सफ़र शुरू हुआ है ।

#शुभरात्रि

#सफ़रएजिंदगी

#सफरनामा

Satyendra Dadhich