Wednesday, December 25, 2019

शिव तांडव स्तोत्रं

शिव ताण्डव स्तोत्र
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले
गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा
निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगल ध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं
विमोहनं हि देहिनांं सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥

॥ इति रावणकृतं शिव ताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Sunday, September 15, 2019

कविता : अधूरा डर

यूँ ये सफर सिफर हो जाता है,
अकेले कोई कहाँ चल पाता है ।
जिंदगी तो काट लेता है तन्हा भी,
कोई क्या जी हर पल पाता है ।

अधूरी रह जाती है कुछ कहानियां अक्सर,
यूँ पूरी भी कहाँ हर कोई लिख पाता है ।
परियाँ आती है रोज ख्वाबों में मेरे अब भी,
वो बचपन मेरा कहाँ वापस लौट के आता है ।

सोचता हूँ की खेल खेलूँ वो पुराने वाले,
वो हारने का डर अब भी सताता है ।
तब तो तुम साथ हर पल थे मेरे साये से,
जमाने की चाल से अब दिल डर जाता है ।

सत्येन

Sunday, May 5, 2019

मेरा धर्म सनातन विचारधारा से मैं हिन्दू ।

हम अक्सर यह पढ़ते हैं कि हिन्दू धर्म है जबकि वास्तविकता ऐसी नही है अर्थात हिन्दू धर्म नही है धर्म तो सनातन धर्म है । कालखण्ड में परिवर्तन किस प्रकार हुआ और कैसे यह सनातन धर्म के बजाय हिन्दू धर्म कहा जाने लगा आइये जाने ।

वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'हमेशा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।

सनातन धर्म मूलत: वह भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है।

सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे।

भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं।

हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था।

जब औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन को ईसाईमुस्लिम आदि धर्मों के मानने वालों का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिये जनगणना करने की आवश्यकता पड़ी तो सनातन शब्द से अपरिचित होने के कारण उन्होंने यहाँ के धर्म का नाम सनातन धर्म के स्थान पर हिंदू धर्म रख दिया।

Thursday, January 3, 2019

अयोध्यानरेश का अस्तित्व

मैं हिंदुस्तान रहने वाला आम नागरिक हूँ जो जानता है जो अयोध्या नगरी है जहाँ राजा दशरथनन्दन राम का जन्म हुआ यह हमारे पुराण, ग्रन्थ महर्षि वाल्मीकि द्वारा आदिकाल में लिखित श्रीमदवाल्मीकि रामायण और कलियुग में संत तुलसी दास जी द्वारा रचयित श्रीरामचरितमानस में है ।

हम सभी पढ़ चुके है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की खुदाई के अवशेषों के मुताबिक वहाँ हिन्दू प्रतीक चिन्ह मिले है । इस सम्बन्ध में पुरातत्व वेता डॉ ओक की रिपोर्ट भी प्रमाणिक है ।

कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. पीवी नरसिम्हाराव ने भी हलफनामे में जिक्र किया था कि अगर वह जमीन मंदिर की है तो उन्हें दी जाए मंदिर बने तो फिर कांग्रेस आज तक क्यों ना बना पाई ? आये अब श्रीराम याद क्यों जब चुनाव सर पर है।

हिंदुस्तान के संविधान में भी भगवान राम का उल्लेख है तो अब सवाल है मेरे कुछ, उन लोगों से जो अब एक दम से जागकर यह कह रहे है कि मंदिर हम बनाएंगे :-

1. सभी पार्टी कल सुबह मिलकर केस हटा लें । कोर्ट से केस हटा कर अपने अपने कार्यकर्ताओं से कहें कि आओ मंदिर बनाओ । क्या ऐसा करके आप दिखा सकते है ?

2. जिस भारत की समृद्धि और संस्कृति के चर्चे पूरे विश्व में हमेशा से रहे हैं और भारत हमेशा योग विज्ञान धर्म शिक्षा सब में अग्रणी रहा है जिस भारत में कदम कदम पर आपको एक से एक मंदिर मिलता है उस भारत में भगवान राम के अस्तित्व को तलाशने की आवश्यकता क्यों पड़ी ।

3. जब इतने सालों से कुछ पार्टियां और संगठन मंदिर निर्माण के लिए प्रयत्न कर रहे थे तो तथाकथित बुद्धिजीवी सेकुलर जमात जो हिंदू मुस्लिम भाई भाई का नारा आज अलाप रही है वह अब तक सर्वधर्म समभाव को जो भारत के संविधान का मूल तत्व है उसे क्यों भूल गई थी ?

4. सबसे जरूरी सवाल कांग्रेस पार्टी से कि आज उन्हें भगवान राम क्यों याद आते हैं जबकि भगवान राम को लेकर स्वर्गीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने जब हलफनामा दिया था कभी मंदिर निर्माण के लिए पार्टी आगे क्यों नहीं आई जो आज कह रही है कि यह सिर्फ भाजपा का चुनावी मुद्दा था अरे भाई अगर यह भाजपा का चुनावी मुद्दा था तो फिर आप इस मुद्दे को खत्म करने की कोशिश में क्यों नहीं लगे या फिर आपका गरीबी हटाओ वाला नारा अब खत्म होने वाला है क्योंकि गरीब तक पहुंच का आप का ठेका खत्म हो चुका है ?

5.  जब जब कोई भी अच्छी चीज इस देश के लिए होती है तब तब क्यों कांग्रेस को यह लगता है की अब उसका अस्तित्व खतरे में है ?

6. रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम का कीर्तन करने वाले स्वर्गीय मोहनदास करमचंद गांधी जिन की समाधि पर हे राम लिखा हुआ है वह भी बड़े बड़े अक्षरों में तो भी कांग्रेस के आज तक के शासकों में सिर्फ और सिर्फ इस मुद्दे को टालने की ही मंशा क्यों रही ?

7. क्या आज हकीकत में कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पार्टी का हर प्रवक्ता स्वयं को राम भक्त सिद्ध करते हुए मंदिर बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता हैं ?

मंदिर बनेगा कोर्ट का फैसला भी आएगा और अध्यादेश भी आएगा कब आएगा यह आज की पढ़ी-लिखी जनता जानती है और यह मानती भी है कि कौन असल में मंदिर बनाएगा और कौन इसे सिर्फ मुद्दा बना रहा है ।

मेरी  राय में अगर हम कांग्रेस पार्टी को पूछें तो सिर्फ एक सवाल कि क्यों 1947 से लेकर अब तक आपने हर बार वह सब कभी नहीं होने दिया जो हम सबके आस्था से जुड़ा है फिर चाहे वह राम जन्मभूमि हो या कृष्ण जन्म भूमि ।

आप अपने छद्म आवरण को उतारिए और सिर्फ इंतजार कीजिए बहुत जल्द एक बार फिर जिस दिन में मंदिर बनेगा तब पूरी अयोध्या में समवेत स्वर में गूंजेगा भए प्रगट कृपाला दीन दयाला ।

आस्था से खिलवाड़ न भाजपा कर रही है और ना नरेंद्र मोदी क्योंकि देश के कानून का सम्मान हर नागरिक को करना चाहिए और उसमें विश्वास रखना चाहिए लेकिन न्यायपालिका को यह चाहिए कि वह इसका फैसला पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर दे मैं मंदिर निर्माण का पक्षधर हूं और यह चाहता हूं कि जैसे आज भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता की बात करता है तो वह न्यायपालिका भी त्वरित गति से फैसला उस देश के धर्म ग्रंथों वैज्ञानिक रिपोर्टों और आस्था से जुड़े तथ्यों को ध्यान में रखकर दे ।

सत्येन दाधीच