Wednesday, November 8, 2017

जमाना बदला क्या ??

कुछ बातें उस पूनम के चाँद को देखकर भी याद आती है जो अमावस्या के बाद आज फिर पूरे शबाब पर होती चांदनी के साथ सिर्फ और सिर्फ आज की रात के लिए है क्योंकि कल से तो उसे फिर एक बार फिर उसी अमावस्या को लेकर आना है ।

मेरे शहर की गलियों में फैले उजियारो के बीच मुझे याद आया कि अक्सर लोग इन्ही रास्तों से गुजरना गर्व समझते थे क्योंकि तब चरम पर अनुशासन और आपसी समझ आधारित ज मानवता थी । सब एक दूसरे के हिताकांक्षी थे और आपसी भाईचारे के लिए जाने जाते थे तो आप अपने साथ ही नहीं बल्कि एक और एक ग्यारह वाली कहावत में ही विश्वास करते थे ।

तब भले ही चारों और ना तो इतनी सड़कें थी और ना ही कोई दिनभर गुजरने वाले वाहनों की खड़ी बेतरतीब भीड़ अगर कुछ था तो वह कुछेक तांगे या गिने चुने टैक्सी ड्राइवर थे जो धुँवा उड़ाती, सजी धजी टैक्सियों के साथ मेरे शहर में आने वाली कोयले की छुक-छुक गाड़ी से उतरने वाले लोगों का स्वागत मुस्कुराहट के साथ बड़ी आत्मियता से करते थे जबकि उस समय भाड़े के नाम के दो रुपए का लाल नोट मिला तो संतोष कर लेते थे ।

शहर के गोल चक्कर  से अन्दर अल सुबह उतरना जहां देस आने की खुशी दिखाते थे वहीं रात को नौ बजे रेलवे स्टेशन जाना मानो अकल्पनीय था । शहर  तब बन चुका था लेकिन यहां सब कुछ थक भी लेकिन हर बड़ा काम पास के बड़े शहर से तालुक रखता था ।

मैं तब पहली बार निकला था अपने संघर्षों से दो चार होने जिसे मैंने खुद चुना था ।

Monday, November 6, 2017

भारत वासी सोच कैसी

माफ कीजियेगा लेकिन मेरा उद्देश्य किसी भी प्रकार से मेरे अपने राष्ट्र हिंदुस्तान या यहाँ के निवासियों की गरिमा के संदर्भ में कोई अनुचित भावना है क्योंकि मैं स्वयं इस महान भारत देश का एक भारतवंशी नागरिक हूँ जिसे अपने राष्ट्र और राष्ट्रीयता पर अभिमान है किन्तु कुछ घटना और बदलते समय के चक्र के कारण कुछ अजीब कहने की इच्छा जाग्रत हुई ।

चलिए हिंदुस्तान की बात करने से पहले जाने की असल हिंदुस्तान क्या है ? चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर "भारत" और आर्य जाति के क्षेत्र के कारण कभी इसे "आर्यावर्त" भी कहा गया था लेकिन यह "हिन्दुस्तान" कहा गया मुगलों द्वारा क्योंकि यहां हिन्दकुश नाम का पर्वत था और उसके आस पास रहने वाले लोग हिंसा से दूर थे इसलिए हिन्दू कहलाये ( हिंसायाम दूयते सः हिन्दू ) इसका अर्थ यह था कि यहां के लोग शांतिपूर्ण तरीके से जीवन यापन करने में विश्वास रखते थे ।

आप ने शायद सुना भी हो कि पुराने जमाने में काफी मंदिर स्वर्ण, बेशकीमती जवाहरात और अन्य कलात्मक समृद्धि से परिपूर्ण थे और यहां पर लोग दूर देशों से पठन-पाठन के लिए भी आते थे क्योंकि तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय इसी हिंदुस्तान में थे ।

आततायी मुगलों ने जमकर लूटा इस देश को लेकिन हिंदुस्तान सोने की चिड़िया थी और एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इस महान राष्ट्र की नस-नस में थी जी आज भी महसूस की जा सकती है । संस्कृत भाषा, व्यापार, वाणिज्य, स्थापत्य, अद्वितिय आदर, आदर्श आचार-विचार इस देश की पहचान है जो उस समय अपने स्वर्णिम काल में थे ।

फिर समय आया अंग्रेजो का जिन्होंने व्यापार के बहाने भारत में अपने पैर जमाये और शुरू करदी हिंदुस्तान को इंडिया बनाने की प्रक्रिया ।

अंग्रेजों को बखूबी पता था कि भारत अपनी संस्कृति और मानवीय मूल्यों के कारण पूरे विश्व का गुरु रह चुका है और इनका बौद्धिक स्तर भी अन्य देशों की तुलना में काफी उन्नत है साथ ही यहाँ की जमीन उपजाऊ होने के साथ प्रचुर मात्रा में खनिज पदार्थ सम्पदा से सम्पन्न है ।

फिर उन्होंने दोहन किया ना सिर्फ खनिजों का बल्कि भारतीयों के मस्तिष्क में ब्रितानी सभ्यता का बीजारोपण भी किया । किसानों, मजदूरों को लगान और मजदूरी के जरिये गुलाम बनाने का काम तो राजा महाराजाओं ने काफी पहले कर ही दिया था तो इन्होंने सिर्फ उन्हीं रियासत के राजा महाराजाओं की आपसी फूट का फायदा उठाकर ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापार के बहाने हुकूमत करना शुरू कर दिया ।

अंग्रेज़ पूरे देश से भर भर कर सम्पदा ब्रिटेन भेज रहे थे और उनका विरोध करने वाले लोगों का दमन करने का काम करने लगे ।

फिर हिंदुस्तान के लोगों ने इस कुचक्र को समझकर विद्रोह का बिगुल बजाया तो हमे 200 वर्षों की अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त एक देश मिला जिसे अंग्रेजों ने इंडिया बना दिया था, एक समय विश्व गुरु रहा हिंदुस्तान अपने वजूद को नए सिरे से तलाश शुरू करने के लिए तैयार था लेकिन अब एक नई समस्या थी पाकिस्तान और बांग्लादेश जो उसके खुद के विभाजन से बने थे उसके लिए समस्या खड़ी करने को तैयार थे ।

आज आजादी के वर्षों बाद भी पाकिस्तान की समस्या हिंदुस्तान के लिए जस की तस बनी हुई है जो उसे विभाजन के साथ मिली है और एक ऐसा शासन तंत्र मिला है जो घोटालों के रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड तोड़ने में नेताओं की मदद करता रहा है ।

इन सबको ठीक करने के लिए एक लंबा समय तक इंतजार करना चाहिए लेकिन वर्तमान सरकार ने वाकई बहुत कम समय में अपने प्रयत्न करते हुए ना सिर्फ डिजिटल इंडिया की बात की बल्कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों की बात को भी प्रधानता से लेकर चलने की बात की है, जिससे हम लोगों का ना सिर्फ विकास हो बल्कि हम बौद्धिक स्तर पर भी विकसित हो ।

तो यह था एक समय का भारतवर्ष जिसे मुगल हिंदुस्तान कहते थे अंग्रेजों ने इंडिया बना डाला ।

सत्येन दाधीच
Freelancer Writer
Mo : 7425003500
s.j.dadhich@gmail.com

Sunday, November 5, 2017

समझकर वोट मांगिये, नोटा ना दबा दे

ये भी पर सुना है कि कांग्रेसी राजमाता अपना इलाज करवाने विदेश अक्सर जाया करती है इसका मतलब समझते हो या नही ??? 1947 से अब तक कांग्रेस का अपना शासन रहा है और भारत में बड़े बड़े अस्पतालों की स्थापना इन्ही के शासनकाल में हुई या नही ??? जवाब अगर हां है तो मेरा सवाल यह है कि आपने 1947 से लेकर आज तक जितना भी चिकित्सा के नाम पर भारत में खर्च किया वह जब आपके नही काम आया तो आम आदमी के क्या काम आएगा ???

राहुल गांधी नेता है नेता रहे भले ही कांग्रेस के प्रमुख बने हमें कोई आपत्ति नही क्योंकि यह आपकी खानदानी पार्टी है और मुखिया की मर्जी चाहे जिसे वारिस बनाए लेकिन देश के मामले में सोचिये कि वो प्रधानमंत्री आपकी बात क्या समझेगा जिसको यह तक नही पता कि आलुओं की फैक्टरी होती है या किसान उगाता है ?? और ये खुद को किसान हितैषी कहते है ।

वैसे एक बात तो राहुल गांधी का खर्चा कम है क्योंकि नोटबन्दी में सिर्फ एक बार बैंक गए थे नोट बदलाने ????

जनता समझदार हो चली है, सोशल मीडिया पर सबकी नजरें और करतूत रहती है और ईवीएम में नोटा का बटन भी आ गया है, कहीं ऐसा ना हो कि हाथ का निशान रखने वाली पार्टी के आका हाथ हिलाते हुए किसी और देश का रुख कर दे क्योंकि पब्लिक सब जानती है और उसे अपना हक लेना बखूबी सिखाया है इस सरकार ने जिसे पूरी दुनिया सलाम करती है ।

सत्येन दाधीच