दुष्ट दलन संहार जो,
भगत हित करते आठो याम ।
सेवक जन के सुखदायक,
ऐसे है प्रभु मेरे राम ।।
नवमी चैत्र मास की आई,
त्रेता युग में आये राम ।
लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न भाई,
दशरथ नंदन मेरे राम ।।
मात कौशल्या स्तुति कीन्ही,
बालरूप में आये राम ।
सुंदर मूरत खूब रीझते,
मनमोहन मेरे प्रभु राम ।।
ताड़का मार मुनि सुख दीन्हा,
यज्ञ पूर्ण करवायो राम ।
चरण धूरि ऋषि पत्नी तारी,
चले जनक पुर आगे राम ।।
तोड़ धनुष सीता को ब्याहे,
हुए प्रभु अब सीताराम ।
राजतिलक की हुई तैयारी,
लेकिन हो गया अद्दभुत काम ।।
वन जाने को कहकर बोली,
कैकेयी सी माता राम ।
चले नमन कर वनवासी हो,
ऐसे आज्ञाकारी राम ।।
केवट की फिर नाव चढ़े,
जो सबको पार लगाते राम ।
लीला अजब दिखाते पल पल,
मर्यादा में रहकर राम ।।
सूर्पनखा के नाक कान,
असुरों के शीश उतारे राम ।
रावण सीता ले गया लंका,
कहे जटायु हे प्रभु राम ।।
प्रेम भाव अनुराग के भूखे,
शबरी बेर खिलाती राम ।
बाली अनुज मिलेगा आगे,
होंगे तब सारे ही काम ।।
हनुमान सुग्रीव से,
हुए मित्रवत लक्ष्मण राम ।
बाली दलन किया प्रभु पल में,
सीता खोजो करदो काम ।।
हनुमत सिंधु तीर से कूदे,
जली जो लंका नगर तमाम ।
आस संदेसा दे माँ सीता को,
लौटे जहाँ बैठे श्रीराम ।।
देरी ना हो जाये तो प्रभुवर,
मन विचलित है उनका प्रभु राम ।
ह्रदय आपके निज चरणों में,
दुष्टों का हो काम तमाम ।।
सिंधु बन्ध रामेश्वर पूजा,
शिव को खूब रिझाते राम ।
महिमा दर्शन की अति भारी,
रटते शिव जय जय श्री राम ।।
रावण अनुज विभीषण आये,
शरणागत शरण लगाते राम ।
लक्ष्मण शक्ति जब लग जाती,
पीड़ अश्रु भर जाते राम ।।
देख हाल आराध्य का,
संजीवन लाते हनुमान ।
सेवक प्रभु की अद्दभुत रीति,
यही साक्ष्य है यही प्रमाण ।।
मेघनाद और कुंभकर्ण को,
पहुचाये अपने श्रीधाम ।
राक्षस कुल रावण सह मारा,
पृथ्वी भार हरे प्रभु राम ।।
चरित अनन्त युगों तक कीर्ति,
श्रुति और शेष भी कहते राम ।
कहकर कैसे उसे बखाने,
नही कह सकते बात तमाम ।।
राम राम जो राम को रट लूँ आठो याम ।
राम राम बस सत्य है बाकी झूठ तमाम ।।
सत्येन दाधीच
7425003500