Saturday, March 3, 2018

विवेचना विचारों की

अभिव्यक्ति की आजादी के सही मायने तभी है जब आप अपने विचारों के प्रवाह को शुद्धतम रखते हुए वास्तविक स्थिति, स्वरूप और समसामयिक बात कह जाए ।

क्रांति असंभव नहीं है लेकिन जब आप किसी भी तरह से क्रांति चाहते है तो आपको अपने विचारों की ऊर्जा को प्रतिपल कायम रखना होगा ।

मेरी बात को अन्यथा न ले क्योंकि मैंने आजतक फेसबूक पर वही लिखा है जो कहीं ना कहीं लागू हो सकता है या यूँ कह दूं कि साध्य है किंतु मैं किसी को अपने विचारों को अनुकरण करने का ना तो अनुरोध करता हूँ और ना ही यह चाहता हूँ कि उसे कोई तर्क की कसौटी पर तौले ।

डिज़िटल उपवास शब्द अच्छा है लेकिन अगर यह नेट बन्द करने को लेकर कहा गया है तो गलत है क्योंकि उपवास स्वैछिक होता है ना कि थोपा हुआ ।

कश्मीर बन जाता है अपना शहर एक दिन के लिए जिसकी शायद मेरे हिसाब से कोई आवश्यकता नही होती है क्योंकि हम वाकई शांतिपसन्द है ।

सत्येन