Sunday, April 30, 2017

नवलगढ़ शहर

नवलगढ़, झुंझनु जिले का एक शहर जिसने आज तक अपने हर लम्हे, हर क्षण, हर उत्सव, हर परम्परा को जिया है और पर्यटन मानचित्र पर अपनी एक पहचान पता नहीं क्यों हर आने वाले दिन प्रतिदिन अपनी शांत, सुंदर और और समृद्धिशाली पहचान को खोता जा रहा है ।

जिस शहर के शहरी शांत वातावरण में शान्ति से अपनी जिंदगी जी रहे थे अचानक से इतने आक्रामक तेवर ले आये कि शहर में आये दिन कुछ ना कुछ घटनाओं को भोग रहे है यह सब इतनी अचानक या यूँ कहे कि कुछ समझ में आने से पहले अपने शहर को बारूद के ढेर पर महसूस करने लगे है लेकिन किसी ने इस को बारीकी से समझने की कोशिश नहीं की ।

आप शायद ना मानते हो की इस शहर के साथ ऐसा कुछ नहीं पर अगर आप पिछले कुछ सालों से चले आ रहे घटनाक्रम पर अगर आप गहराई से विचार करे तो शायद ऊपर लिखी गयी बात आपको सच लगे और आप भी सहमत हो जाए कि यह सोच सही है की यह नवलगढ़ शहर धीरे धीरे अशांति की ओर ले जाया जा रहा है ।

सालों पहले यहां एक बार गैर पर छिटपुट घटना हुई और हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश हुई लेकिन तब यहाँ के विधायक, प्रशासक और आम लोगों के द्वारा यहाँ फिर शान्ति का साम्राज्य कायम किया गया जो वाकई एक अद्भुत मिसाल थी ।

मगर उसके बाद यहां राजनीति और राजनैतिक समीकरण के मायने लोगों के समझ में आने लगे और लोग सत्तारूढ़ विधायक और प्रशासन तक अपनी बात शान्त और समुचित तरीके से पहुँचाते रहे और मैं नवलगढ़ अपने आपको शांत और समृद्धि के शिखर पर महसूस करने लगा ।

मेरे शहरवासी अपनी जिंदगी आराम से जी रहे थे कुछ परेशान थे लेकिन फिर एक बार यहां पर परिवर्तन की जरूरत पड़ी और इस बार नवलगढ़ ने ना सिर्फ अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज की और राजस्थान सरकार में पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज की जो वाकई बड़ी उपलब्धि थी लेकिन यहीं से मानो या ना मानो मेरे विनाश के दिन शुरू हो गए थे ।

विकास के नाम पर करोड़ों रूपये फूँक दिए गए और ऐसी ऐसी योजनाओं को नवलगढ़ पर थोप दिया गया जिनकी या तो मुझे जरुरत ही नहीं थी या मेरा दूर दूर तक उनसे कोई लेना देना नहीं था ।

साइंस पार्क, सेटेलाइट हॉस्पिटल, हाई मास्ट लाइट्स से कहीं ज्यादा जरुरत मुझे मेरे शहर में घूमते आवारा पशुओं, बरसाती पानी की निकासी, पेयजल व्यवस्था की जरुरत थी पर पता नहीं क्यों किसी का भी ध्यान इस तरफ गया ही नहीं ।

खैर जो भी हो मेरे परकोटे में चारों तरफ हेरिटेज सिटी के बोर्ड्स लगे थे अब वो सारे बोर्ड्स गए...

आपके शहर की शान और पर्यटन की पहचान हवेलियां जाने क्यों टूटती जा रही है और सेठों का यह शहर मार्केट्स का शहर बनता जा रहा है और वहम यह कायम है वाकई काफी विकास हुआ शहर का...

ऐसे ही कई सवालों के साथ तैयार हूं पूछने हर बार फिर एक बार क्या आपको परवाह है आपके अपने नवलगढ़ की ??