Friday, April 7, 2017

आँसुओं की बारिश

हाल -ए- दिल हम कहते चले गए,
कुछ आँसू गिरे क्या गिरे ये जज्बात बहते चले गए ।

मैं लिख रहा जिन पन्नों पे इबारतें,
मोह्हबत में मिला सावन गम का आसुंओं की स्याही में डुबोते चले गए ।

सत्येन दाधीच
7425003500
s.j.dadhich@gmail.com