हाल -ए- दिल हम कहते चले गए, कुछ आँसू गिरे क्या गिरे ये जज्बात बहते चले गए ।
मैं लिख रहा जिन पन्नों पे इबारतें, मोह्हबत में मिला सावन गम का आसुंओं की स्याही में डुबोते चले गए ।
सत्येन दाधीच 7425003500 s.j.dadhich@gmail.com