यूँ बस तेरी मेरी के फेर में रह गए ।
जज्बात दफन थे दफन रह गए ।।
जो रुमाल दिए थे उसने निशानी कहकर,
मेरे जनाजे का वो बस होकर कफन रह गए ।
मैंने आवाज दी मुँह से हटा कर चादर,
लोग बोले पिछली गली मे सनम रह गए ।
ना यकीन मानिए पर यह भी सच निकला,
हम तो छोड़ जहाँ चले तन्हा वो रह गए ।
फूलों से ढकी कब्र में चुभते काँटे बेहिसाब,
खाक होकर भी खाकसार हम रह गए ।
सत्येन