लिखे थे तुमने , दो ही ख़त मुझको एक था , जिसमे प्यार भरा था और दूसरे में , शिकवा गिला था... आज तक बस , इसी सोच में हैं दिल कौन सा ख़त भला , और.. कौन सा बुरा था