Tuesday, April 28, 2015

#lifeline

खुली किताब सा जीवन मेरा,
एक एक शब्द यूं साफ़ लिखा ।
कुछ पन्ने कोरे छोड़े है इसके,
बाकी पर तेरा नाम लिखा ।।

निकले थे क्या क्या लेकर,
वो लाव ओ लश्कर तमाम लिखा ।
कुछ जज़्बातों से लबरेज़ चाहते,
कुछ गुपचुप तेरे नाम लिखा ।।

दिल ने बात कहीँ ना खोली,
हवाओं पे किसने पैगाम लिखा ।
अपने आँसू को रोके हर लम्हे,
चेहरे पर तेरे मुस्कान लिखा ।।

Satyen Sonu©

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दोस्ती

अकेलेपन की सुनाये दास्ताँ किसको उम्र भर,
मेरे यार दोस्ती की चाहत किसको नहीं होती ।
ये नेमत बख्शता नहीं हर किसी को खुदा,
निभा जाए हर बन्दा आसानी से दोस्ती बात नहीं होती ।

एक से एक जुड़ जाते है कड़ियों से हम कैसे,
मिलने की तड़प रह रह कर किसको नहीं होती ।
जिस्म सोता है रात में सुकून से शायद कुछ लम्हा,
दिलो दिमाग में दोस्तों के रात नहीं होती ।।

कुछ तो बात होती है इस रिवायत ए दोस्ती में,
सरफिरि ये मोह्हबत सुबह शाम नहीं होती ।
दोस्ती का नशा बोलता है सर चढ़कर हर लम्हा,
ये ख़ास है सबके सामने आम नहीं होती ।।

तड़प जाते है इस रिश्ते को निभाने में चंद इन्सां,
हर एक के बस की ये यूं बात नहीं होती ।
कुछ एक जी जाते है हर लम्हे में जिंदगी को,
बाकी सबके नसीब में मुलाक़ात नहीं होती ।।

दोस्ती को करके नहीं तुम निभा कर देखो,
हर एक रिश्ते में ऐसी बात नहीं होती ।
टीस रहती है यारों से मिलने की हर एक घड़ी,
मेरी आँखों से झूठी ये बरसात नहीं होती ।।

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दुनिया एक नज़र

आज कल ये दुनिया रंगीन से रंगहीन हो गई है,
चमक पैसों की फैली रिश्तों की ललक खो गई है ।
काट लेता है गला इंसान का अपना इंसान,
इंसानियत भी अब कहीँ हैवानियत हो गई है ।।

बदरंग बदनुमा ख़्वाब से आते है यादों में,
खुशनुमा जिंदगी खुद एक ख्वाब हो गई है ।
दर से है बेदर ये मीठे बोल की ख्वाहिश,
पड़ोसियों से नजदीकी बड़ी दूर हो गई है ।।

आँखों में सुकून नहीं मिलता एक पल भी,
सौ बार क्यों आँसुओं की बरसात हो गई है ।
तड़प है आज मिल जाने की किसी आदम से,
लुटेरे लोगों से तो कई मुलाक़ात हो गई है ।।

ठोकर तोड़े हर एक को सुना मैंने ताउम्र,
बन जाने की तमन्ना हर एक चोट के बाद हो गई है ।
नफरत है मेरी सुबह के उजाले से शायद सबको,
खुश है सब लोग के मेरी जिंदगी स्याह रात हो गई है ।।

बात कह दी ना मालूम उनके क़ासिद से क्यू मैंने,
आज बाद मुद्दत के तुमसे मेरी बात हो गई है ।
लिख के भेज दिया पैगाम उसने मुझ इंसा को,
मैं खुद खुदा हूँ तेरा तेरी खुदाई मेरे जज़्बात हो गई है ।।

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Tuesday, April 7, 2015

अनकहे ज़ज़्बात और यादें

चिपका के रखे है रेडियम के टुकड़े कमरों की छतों पर,
असली तारों वाली चमकती अब चांदनी रात नहीं होती ।

इसकदर नहा लेते है बाथरूम में शॉवर की चंद बूँदों से,
वो बचपन की भिगोने वाली आजकल बरसात नहीं होती ।।

कश्तियाँ अब भी चलती है समन्दरों में लाख लेकिन,
वो कागज़ की कश्तियों सी उनमे बात नहीं होती ।

बात करते है हम आज भी तुमसे यादों में ही सही,
वो रूबरू करने वाली सी बहुत बात नहीं होती ।।

कागजो के बने जहाज़ों से आसां था सफ़र कभी,
अब उड़ने वाले एरोप्लेन में तुमसे मुलाक़ात नहीं होती ।

अब भी लिपटा के सोते है तेरे इंतज़ार को सीने से,
मुकम्मल तेरी याद के बिना कोई रात नहीं होती ।।

सुना है महंगा सोना हुआ बहुत इन दिनों,
रहता है इंतज़ार आँखो को पर सोने की रात नहीं होती ।।

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Extent of life via karmyoga

कर्म योग सहज नहीं है । यह वास्तविक जगत से साक्षात् कर आधार मन को आत्मकेंद्रित करने का अद्भुत साधन है । वह जो आसानी से दिख पड़ता है पर होने मे असंभव जान पड़ता है कर्म योग है । स्वयं को प्रवृत रखना और साथ ही साथ खुद को निर्लिप्त रखना कर्म यही सिखाता है ।

आद्य या अंत नहीं प्रारंभ से लेकर निःशेष होने तक की अवस्था को सहेज कर जीना कर्मयोग है । यह दुर्लभ तो है किन्तु दुरूह नहीं है । कर्ता के लिए स्वयं प्राप्य और अकर्मण्य के लिए स्वप्नमात्र है ।

अनादि काल से देव, मुनि और मानव ही नहीं अपित जीव मात्र अपने सहज कर्मयोग को जीते है । प्रयत्न से या यत्न से अपने कर्म काल ( जीवन को अगर यही नाम दिया जाए तो उचित है ) का निर्वहन करता है ।

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