Tuesday, April 28, 2015

दोस्ती

अकेलेपन की सुनाये दास्ताँ किसको उम्र भर,
मेरे यार दोस्ती की चाहत किसको नहीं होती ।
ये नेमत बख्शता नहीं हर किसी को खुदा,
निभा जाए हर बन्दा आसानी से दोस्ती बात नहीं होती ।

एक से एक जुड़ जाते है कड़ियों से हम कैसे,
मिलने की तड़प रह रह कर किसको नहीं होती ।
जिस्म सोता है रात में सुकून से शायद कुछ लम्हा,
दिलो दिमाग में दोस्तों के रात नहीं होती ।।

कुछ तो बात होती है इस रिवायत ए दोस्ती में,
सरफिरि ये मोह्हबत सुबह शाम नहीं होती ।
दोस्ती का नशा बोलता है सर चढ़कर हर लम्हा,
ये ख़ास है सबके सामने आम नहीं होती ।।

तड़प जाते है इस रिश्ते को निभाने में चंद इन्सां,
हर एक के बस की ये यूं बात नहीं होती ।
कुछ एक जी जाते है हर लम्हे में जिंदगी को,
बाकी सबके नसीब में मुलाक़ात नहीं होती ।।

दोस्ती को करके नहीं तुम निभा कर देखो,
हर एक रिश्ते में ऐसी बात नहीं होती ।
टीस रहती है यारों से मिलने की हर एक घड़ी,
मेरी आँखों से झूठी ये बरसात नहीं होती ।।

Satyen Sonu©

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