Sunday, May 17, 2015

मुस्कुराओ 1 बार

आज कल का तेज़ युग,
पुराना हुआ 2 जी ।
बेहतर है जो चले बेहतर,
सुपर फास्ट 3 जी ।।

और भी तेज़ है ज़माना,
क्रांति 4 जी का आना ।
क्या फर्क पड़ता हमको,
जी के लिए जी मचल जाना ।।

लगे बेहतर की सुबह को,
कहदे कोई सुनिए जी ।
देके प्याली चाय की,
कहे कोई की उठिए जी ।।

नाम से ना वो पुकारे,
कहदे सिर्फ ए जी ।
कोई करदे जिक्र जब तो,
कहदे जाने वो सब कुछ जी ।

प्यार से वो नाम ना ले,
ख्वाहिश तो है ये 1जी ।
और कुछ ना चाहिए,
तुम रखो ये 3जी 4जी

Friday, May 15, 2015

मस्ती

सुबह उठ के बिस्तर से जब बाजार में मैं आया,
कुछ मस्त लोगों को मैंने मस्ती करते पाया ।
पूछा उनसे भाई क्या बात अल सुबह इतनी बस्ती है,
क्या मेरे शहर में रोज़ सुबह हंसी यूं बरसती है ।।

तनाव भरी जिंदगी में ये मुस्कराहट बड़ी बात है,
वो राज बताओ की ये रौनक कहा से आई है ।
माहौल अलमस्त है अलग रवानी छायी है,
मुखर मजाक से भरी एक एक बात सुनाई है ।।

मस्ती में मस्त लोगों के बीच से आवाज़ ये आई,
टेंसन खून जलाती है मस्त रहो तुम भी भाई ।
इस दुनिया में याद रखना सिर्फ उसकी हस्ती है,
जो मस्त रहे हर लम्हा जीवन उसका मस्ती है ।।

भुला दे सारे गम एक ठहाका जोर से लगाले,
जो खजाना है ख़ुशी तेरे अन्दर का उसे जरा लुटा दे ।
दुनिया सराय है एक दिन छोड़कर चले जाना है,
इस पल मस्त रह अगले पल क्या ठिकाना है ।।

Thursday, May 14, 2015

शुक्राना-ए-इश्क

ये लाखों लाख लम्हे प्यार के जो तूने दिए मुझको,
दस साल जो हमने एक जीवन बन के जिये ।
शुक्राना कैसे अदा करू तेरे प्यार का ए हमसफ़र,
हर एक पल जिया जो पल मेरे नाम ए मोहब्बत किये ।।

कुछ वो लम्हे प्यार के कुछ मीठी सी तकरार के,
बेइन्तहा मुहब्बत के जो तूने हर पल दिए ।
शुक्रिया मेरे महबूब तुझको मेरे बेपनाह,
शुक्रिया तेरे उस मेरे रूठने इसरार के लिए ।।

प्यार से तूने मेरे इश्क के हर पल को संभाला,
शुक्रिया प्यारे से मोहब्बत के इन फूलों के लिए ।
मैं कायल हो गया तेरी मुह्हबत का सनम,
जीता हूँ अब सिर्फ तेरी मुस्कुराहटों के लिए ।।

तेरा वो हाथ रहना हाथ में मेरे नर्म अहसास है,
लगता है मेरी सांस आती है तेरी सांस के लिए ।
ये जिदगी का दिन है यादगार मुझ दीवाने को,
के जब तुम आये थे सदा के मेरा हो जाने के लिए ।।

इश्क है तुझसे अ मेरे दिल की धड़कती धड़कन,
धड़कती है तेरे दिल में हर एक पल धड़क जाने के लिए ।
दूर होता हूँ जब भी मैं साँसों से तेरी अ रहबर,
मचल जाता हूँ फिर तेरा साथ पाने के लिए ।।

Wednesday, May 6, 2015

ख्वाहिशें अनकही...

वो एक आम इंसान नहीं मैं दोस्तों,
जो हर एक अपनी चाहत मार लूँ ।
चमकने की ख्वाहिश बेइंतहा मेरी,
सोचता हूँ सूरज से कुछ रोशनी उधार लूँ ।।

डगमगाती है कभी नाव भंवर में मेरी,
सोचता हूँ किस तरह से उस पार लूँ ।
तुफानो से लड़ने का माद्दा है इस कदर,
रूख मोड़ के उनका उनको हार दूँ ।।

तकलीफों से सबक लेता कोई नहीं,
अब से तकलीफों को तकलीफ हज़ार दूँ ।
मुमकिन है निज़ात दूर करना हर किसी को,
खुद को जीता कर खुद को हार दूँ ।।

Friday, May 1, 2015

कुछ अनुभव... कुछ यादे .. #satyen

जिन्दगी कोई पहले की लिखी हुई किताब नहीं है, यह तो हर पल लिखी जा रही है तुम्हारी अपनी इच्छा की कलम से...
मेरा लुक आउट नहीं है ......

सच्ची मित्रता......दुर्लभ

मित्रता शुद्धतम प्रेम है. ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता , कोई शर्त नहीं होती , जहां बस देने में आनंद आता है

रास्ते..मंजिले.. अंदाज़ सब जुदा होते हैं
इश्क के मुसाफिर...खुद के खुदा होते हैं

बेसबब तीर चलाते हो जमाने पर 
मत भूलो.. तुम भी हो निशाने पर

इश्क भी क्या अजीब दरिया है 
मैं जो डूबा, उभर गया कोई 
आम रस्ता नहीं था मैं फिर भी 
मुझसे होकर गुजर गया कोई ...

बहुत दर्द है अब इस बेदर्द के पास...

Satyen Sonu
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