वो एक आम इंसान नहीं मैं दोस्तों,
जो हर एक अपनी चाहत मार लूँ ।
चमकने की ख्वाहिश बेइंतहा मेरी,
सोचता हूँ सूरज से कुछ रोशनी उधार लूँ ।।
डगमगाती है कभी नाव भंवर में मेरी,
सोचता हूँ किस तरह से उस पार लूँ ।
तुफानो से लड़ने का माद्दा है इस कदर,
रूख मोड़ के उनका उनको हार दूँ ।।
तकलीफों से सबक लेता कोई नहीं,
अब से तकलीफों को तकलीफ हज़ार दूँ ।
मुमकिन है निज़ात दूर करना हर किसी को,
खुद को जीता कर खुद को हार दूँ ।।