Friday, May 15, 2015

मस्ती

सुबह उठ के बिस्तर से जब बाजार में मैं आया,
कुछ मस्त लोगों को मैंने मस्ती करते पाया ।
पूछा उनसे भाई क्या बात अल सुबह इतनी बस्ती है,
क्या मेरे शहर में रोज़ सुबह हंसी यूं बरसती है ।।

तनाव भरी जिंदगी में ये मुस्कराहट बड़ी बात है,
वो राज बताओ की ये रौनक कहा से आई है ।
माहौल अलमस्त है अलग रवानी छायी है,
मुखर मजाक से भरी एक एक बात सुनाई है ।।

मस्ती में मस्त लोगों के बीच से आवाज़ ये आई,
टेंसन खून जलाती है मस्त रहो तुम भी भाई ।
इस दुनिया में याद रखना सिर्फ उसकी हस्ती है,
जो मस्त रहे हर लम्हा जीवन उसका मस्ती है ।।

भुला दे सारे गम एक ठहाका जोर से लगाले,
जो खजाना है ख़ुशी तेरे अन्दर का उसे जरा लुटा दे ।
दुनिया सराय है एक दिन छोड़कर चले जाना है,
इस पल मस्त रह अगले पल क्या ठिकाना है ।।