Sunday, May 17, 2015

मुस्कुराओ 1 बार

आज कल का तेज़ युग,
पुराना हुआ 2 जी ।
बेहतर है जो चले बेहतर,
सुपर फास्ट 3 जी ।।

और भी तेज़ है ज़माना,
क्रांति 4 जी का आना ।
क्या फर्क पड़ता हमको,
जी के लिए जी मचल जाना ।।

लगे बेहतर की सुबह को,
कहदे कोई सुनिए जी ।
देके प्याली चाय की,
कहे कोई की उठिए जी ।।

नाम से ना वो पुकारे,
कहदे सिर्फ ए जी ।
कोई करदे जिक्र जब तो,
कहदे जाने वो सब कुछ जी ।

प्यार से वो नाम ना ले,
ख्वाहिश तो है ये 1जी ।
और कुछ ना चाहिए,
तुम रखो ये 3जी 4जी