काल स मिन्तर चौक,
झमाझम मस्ती का लहरा आसी ।
सब मिल एक सागै एक सुर,
म खूब धमालां गासी ।।
जो 25 स रोज़ रात आसी बो पासी ।
जो नहीं आसी बो कठे स पासी ।।
याद राखो फागण साल म,
बस एक बार आसी ।
ढप पर थाप पड़सी तो,
जीवड़ो झूम झूम ज्यासी ।।
आओ मस्ती करां ।