एक बार फिर रात है.... कुछ सितारे और बहती ठंडी हवा । सड़क पर बेतहाशा दौड़ती गाड़ियों का शोर.... शहर की भागमभाग भरी जिंदगी । ऊँचे बैठ कर नीचे बसी एक बौनी सी लगती यह लम्बी जगमगाती सड़क जिसे मानो रात के होने का कोई असर ही ना हुआ हो । व्यस्त से भी व्यस्ततम है इसके आस पास फैला यह जंगल जो इस प्रदूषण से भरे इस माहौल को कुछ शुद्ध करने की एक नाकाम सी कोशिश हर लम्हा कर रहा है.... पर अब उसमे भी उगने लगी है कंक्रीट की बहुमंजिला इमारतें । जलती बुझती रोशनियों के बीच इन कबूतरखानोका तक का सफर गाँव की शांत और स्वयमेव शुद्ध गलियों से शुरू हुआ यह सफ़र शान्ति से अनवरत कोलाहल की और.... शहर की और जिसे बसाया किसी ने आदर्श होने को पर अब रहती है वहाँ अनेको जिंदगियाँ.... अपनी हर लम्हा दौड़ती जिंदगी जीने के लिए ।
#शुभरात्रि
#सफ़रएजिंदगी
#सफरनामा
Satyendra Dadhich