ये जीवन क्या है ??
थोड़ा फैला अगर दुखों का कुहासा है,
तो कहीं थोड़े सुखों की अभिलाषा है,
गर अकेलेपन की कहीं निराशा है तो
कहीं क्षणिक प्रेम की आशा है,
कहीं किसी की आमद का उजाला है,
कहीं तन्हाई की एक भाषा है,
मिलन अधूरेपन का कहीं,
कहीं किसी से मिल जाने की आशा है,
बन संवर जाए तो जिंदगी है,
बिगड़ गर जाए तो तमाशा है,
चार पल की कहते है लोग
जीवन की शायद यही परिभाषा है,
#सत्येन