बातें तेरी अब भी महकती हैं....
यूँ लगता है जैसे की... तुने बस अभी कही हैं...
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया...
पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...
न सच झूठ का पता था मुझे...
न सही गलत की खबर...
अपने सचों को को झूठ कहा था मेरे लिए...
मेरी गलतियों को भी... तुने कहा था सही है...
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया...
पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...
मेरे हर आंसू को थामा था अपना लहू समझ कर...
तेरे बूढी आखोँ को याद कर....
न जाने मेरी आसुओं की ...कितनी नदियाँ बही हैं...
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया...
पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...
मैं अब भी चुप रह के सुनता हूं तुझको....
तेरी वो फटी धुंधली तस्वीर आज न जाने क्या क्या कह रही है..
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया...
पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है.