नवलगढ़ की गैर में इस बार को हुए विवाद को लेकर आप हमारी बात सुनने के लिए पधारे हमारे संभागीय आयुक्त साहब इसके लिए हम आपको और राजस्थान प्रशासन का हार्दिक धन्यवाद देते है ।
यहाँ हम आये है क्योंकि हमें अपना पक्ष रखना है और शान्ति से अपनी इस परम्परा गैर को निकालने के लिए किये जा रहे हमारे मिलेजुले प्रयासों की जानकारी प्रशासन तक लिखित रूप में पहुचानी है ।
श्रीमान जी,
यह गैर नवलगढ़ की एक परंपरा है और इस परंपरा का निर्वहन यहाँ एक आम बात है क्योंकि राजशाही जमाने से चली आ रही यह गैर हम हमारे बड़े बुजुर्गों के जमाने से देखते आ रहे है और गर्व है हमें हमारी नवलगढ़ की समृद्ध संस्कृति और इस सांस्कृतिक विरासत भरी परंपरा का जिसके वजह से नवलगढ़ की गैर जानी जाती है ।
पुराने समय में पोदार गेट से शुरू होकर शहर के राजपरिवार के साथ रंग खेलते हुए शहर के मुख्य मार्गों से होकर रंग खेलते हुए लोग चूणा चौक पहुँचते थे जहाँ एक समय नहर थी और लोग वहां नहा धोकर अपने अपने घरों का रुख करते थे ।
कालांतर में नहर नहीं रही मकान बनते चले गए और गैर भी एक परम्परा बन गई । नवलगढ़ की इस गंगा जमुनी संस्कृति में जहाँ साम्प्रदायिक सौहार्द, आपसी भाई चारा कण कण में है वहां ऐसी घटना होना वाकई सोचने वाली बात है ।
श्रीमान जी यहाँ एक बार 1987 में कुछ असमाजिक तत्वों ने गैर जुलुस में अपनी हरकतों से गैर का स्वरूप बिगाड़ने की कोशिश की लेकिन जैसा की सब जानते है की अपनी परम्परा और सांस्कृतिक मूल्यों का सच्चा अर्थ और मायने तभी है जब आदमी इसको अपना दायित्व समझता है । हमें गर्व है अपनी नवलगढ़ की जनता और आम नागरिक का जो 1987 के बाद भी ना सिर्फ गैर में सम्मिलित हुए बल्कि हर एक ने यह साबित किया की नवलगढ़ एक शांतिप्रिय शहर है और हमारे लिए हमारी शान्ति और परम्परायें सर्वोपरि है क्योंकि ये हमें हमारे पुरखों से विरासत में मिले है ।
बैरिकेडिंग, परदे, पुलिस जाब्ता आदि अगर आप 1987 की गैर के पश्चात की रिपोर्ट्स मंगवा कर देखे तो साल दर साल बिना वजह बढ़ाया जा रहा है । पिछली बार घुड़सवार पुलिस बुलवाई गयी थी और ज्ञात रहे की पिछली बार की गैर सर्वाधिक शांतिपूर्ण और सौहार्द भरे माहौल में निकली थी फिर भी इस बार दंगारोधी बल, वाटर कैनन से लेस 2 वाहन, 1000 कमांडो और पुलिस जाब्ता क्या इतना संवेदनशील है यह शहर नवलगढ़ ?
सुबह 9 बजे घर से निकल कर रंग खेलते, धमाल गाते लोगों की हालत बिना किसी पानी के इंतज़ाम के (इस अवसर पर शहर मैं पानी सप्लाई गैर के बाद होती है) ऐसी नहीं रहती की वो किसी तरह का उपद्रव करे । फिर भी प्रशासन ने पता नहीं क्यों सिर्फ और सिर्फ गैर जुलुस को आगे धकेलने को लेकर इतने इंतज़ाम करने की हर साल ठान रखी है ।
इस बार प्रशासन ने ना सिर्फ बिजली आपूर्ति बंद की अपितु इंटरनेट भी बंद किया जो भारत देश के उन हिस्सों में किया जाता है जहां धार्मिक, सामुदायिक, जातिगत, देशविरोधी गतिविधियाँ चलती है हमें तो आज तक इस शहर में ऐसा कुछ नजर नहीं आया ।
गैर जुलुस के दौरान पीने के पानी का इंतज़ाम तक के लिए हमें बारबार आला अधिकारियों को कहना पड़ता है तब भी अपर्याप्त इंतजाम होते है जो वाकई सोचने का विषय है ।
हर बार एक से एक हाईटेक इंतज़ाम किये जाते है इस बार ड्रोन कैमरा था जिसकी रिकॉर्डिंग अगर जुलुस, चूणा चौक, मस्जिद के आस पास की देखी जाए तो मामला समझ में आ सकता है ।
पहले गैर के रास्ते में पड़ने वाली मस्जिद से 200 फीट तक बैरिकेडिंग होती थी था किसी को भी मस्जिद में प्रवेश अजान के तय समय से पूर्व वर्जित था लेकिन इस बार बेरिकेडिंग मस्जिद के गेट के पास लगाईं गई और कुछेक वीडियो रिकॉर्डिंग्स में आप लोगों को बेरिकेडिंग तोड़ते हुए देख सकते है जो गैर जुलुस का किसी तरह से कोई हिस्सा नहीं थे ।
गैर जुलुस के रस्ते में भारी पुलिस फ़ोर्स होना और आस पास के रास्तों को 500 मीटर तक बेरिकेडिंग से बंद करना समस्या बना जिसकी कोई पूर्व योजना प्रशासन ने निर्धारित न की ।
पिछले कुछ सालों से गैर के रास्ते में आने वाली मस्जिद को परदों, कनात आदि से ढका जाता है लेकिन फिर भी कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा उन्हें फाड़ दिया जाता है । इस बार जब सुझाव माँगा गया तो लोहे की टिन से एक अस्थाई व्यवस्था करने की मांग की गई ताकि परदे फाड़ने या किसी तरह की पथरबाजी से जुलुस या मस्जिद को नुक्सान ना पहुँचे लेकिन इस सुझाव को दरकिनार कर दिया गया और नतीजन परदे भी फटे और पत्थरबाजी भी हुयी ।
नवलगढ़ की जनता और यहां के हर आम आदमी द्वारा इस गैर उत्सव का आनंद लिया जाता है और सभी स्वयं अनुशासित रहकर इस गैर को इतने सालों से निर्विघ्न संम्पन् करवाते है तो कुछ असमाजिक तत्वों के चलते पूरी जनता अपने त्यौहार गैर के दिन बिना वजह अपने शहर को अतिसंवेदनशील महसूस करती है ।
क्यों आखिर क्यों ऐसा है की नवलगढ़ का हिन्दू समुदाय अपने त्यौहार को प्रशासन के ऐसे इंतजाम ना सिर्फ झेलता है बल्कि घुड़सवार पुलिस द्वारा खदेड़ा जाता है और डंडे भी खाता है ।
क्या उत्पाती लोगो की पूरी भीड़ सिर्फ गैर जुलुस में होती है ?
क्या हमारी परम्परा गैर जुलुस अब सिर्फ प्रशासन द्वारा अपने सरक्षण में आयोजित एक समय नियोजित कार्यक्रम भर रह गया है ???
क्या मस्जिद में दी जाने वाली अजान का समय हर वर्ष बदलता है ? क्योंकि हर बार तय समय अलग रहता है ।
क्या सारे इंतज़ाम और सुरक्षा सिर्फ और सिर्फ गैर जुलुस के ऊपर ही लागू होते है जबकि वहाँ के आस पास के निवासी अपनी छतों पर रहते है जो बिल्कुल गलत है और इसकी पूर्व सूचना भी प्रशासन को देने के बावजूद कोई कार्यवाही ना होना क्या प्रशासन के इंतज़ाम का फैल होना नहीं माना जाए ।
पूर्व में गैर सदा शान्ति पूर्वक निकलती रही है और कंही कोई अप्रिय घटना नहीं हुई यह इस शहर का सौहार्द और भाई चारे की भावना ही तो है जो इस आयोजन को अपनी आने वाले पीढ़ियों तक अपनी सांस्कृतिक विरासत पहुचाने का कार्य करती है । ऐसे शहर में इतना पुख्ता इंतजाम होना आउट उसके बाद होने वाली ऐसी घटनाओं द्वारा शहर का माहौल बिगाड़ने की चन्द असमाजिक तत्वों की साजिश हो सकती है जिनका ना कोई धर्म है, ना कोई राजनैतिक दल और ना कोई समुदाय उनका मकसद इस शहर की शान्ति व्यवस्था और शहर की पहचान गैर पर टेढ़ी नजर है जिससे नवलगढ़ का आम नागरिक क्षुब्ध है और आप से चाहता है की सांप्रदायिकता के इस झूठे ठप्पे को इस गौरवशाली शहर के माथे से उतार दिया जाए ।
हम गैर जो की हमारी परम्परा है को निर्विघ्न और शान्ति से निकाले को लेकर प्रतिबद्ध है और इसी क्रम में पिछले साल 2016 की गैर की अगर आप वीडियो रिकॉर्डिंग देखेंगे तो यह भीड़ कम और अनुशासन से भरे आम नागरिकों का सौहार्द जुलूस अधिक नजर आयेगा । नवलगढ़ शहर के नागरिकों, मस्ती ग्रुप, नवलगढ़ पोस्ट ने पिछली बार तमाम सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया के जरिये सभी से शान्ति और अनुशासन का पालन करने की अपील की थी और गर्व से कहना होगा की सब ने इस अपील का पुरजोर समर्थन करते हुए एक शानदार गैर निकाली जिसमे राजस्थानी लोकगीत, भजन, हनुमान चालीसा, धमाल का पहली बार अभूतपूर्व दृश्य सबने देखा और सराहा ।
आप इस विषय पर ध्यान दे और इस शहर की शान्ति और सौहार्द को कायम रखते हुए हम अपने परंपरागत त्योहारों को मनाएं सिर्फ ऐसी व्यवस्था करे ।
होली एक त्यौहार है उल्लास का, रंगों का, मस्ती का इस त्यौहार के ऊपर यूं इस तरह की घटना होना वाकई एक प्रश्नचिंह खड़ा करता है प्रशासन पर कि वह किस बिनाह पर गैर जुलुस को एक तय समयसीमा वाला त्यौहार बनाने पर तुला है ।
प्रशासन से अनुरोध करते है हम सब नवलगढ़ के नागरिक