Monday, March 20, 2017

कविता : तेरा साथ

वो पल पल तुम्हारा साथ,
वो हाथों मे तेरा हाथ ।
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

वो तेरा मेरे सपनो में आना,
फिर पंख लगाकर उड़ जाना,
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

तुम से सुनना मुहब्बत है,
मेरा कहना तुमसे मुहब्बत,
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

वो याद आना तेरी पल पल,
मैं दिन गिन रहा आज कल,
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

तुम आ जाओगे बनके जिंदगी मेरी,
तुम खुदा मेरे मैं करूँ इबादत तेरी,
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

तुम्हारा इंतज़ार है हर पल
ये दिल अब भी नहीं मानता,
कि तुम हो वहाँ और मैं हूँ यहाँ ।।

सत्येन दाधीच
7425003500

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